भारत मे शायद अभी जिसकी लाठी उसकी भैंस जैसे हालात हो ने जा रहे है सरकारें अपने अंदर आने वाली सभी संस्थानों का उपयोग राजकीय विरोधियो को दबाने के लिए कर रही है ऐसा प्रतीत हो रहा है
गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी को भी ऐसे ही कारणों की वजे से सायद गिरफ्तार किया गया है जबकि विधयक को खास संरक्षण प्राप्त होने के बावजूद उनके खिलाफ कार्यवाही की गई है अगर सारे देश की बात करे तो अभी बुलडोजर चलाने की नई नीतियां बनाई जा रही हैं और बुलडोजर मामननिय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों से भी आगे निकल ता दिख रहा है अतीत में कई केशो में माननीय न्यायालयों से सरकारों को गंभीर आलोचनाए सुनने को मिली है बाबजूद ईसके सरकार कोई सबक लेने की बजाय अपनी मनमानी करने पर तुली हुई है अतीत में भी ED इनकम टेक्ष CBI जैसे संस्थाओ का इस्तेमाल भी अपने राजकीय विरोधियो को दबाने के लिए होता रहा है कोई भी सरकार हो सभी ने काम ज्यादा सरकारी संस्थाओं का इस्तेमाल अपने राजकीय विरोधियो के खिलाफ किया है
गुजरात मे तो यह स्थिति कई सालों से चल रही है जागृत युवा पेपर लीक होने के मामले को इजगर करता है तो उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर के जेल में ठूस दिया जाता है आम आदमी पार्टी के लगो पर भी मुकदमे दर्ज कर के जेलो ने भेजा गया है जहा कही भी मुख्य मंत्री केंद्रीय मंत्री आते है वहां विरोधियो को उनके ही घरों में नजर कैद करने का प्रचलन गुजरात मे आम है पूरे देश की बात करे तो स्टेन स्वामी, आनंद तेलतुंबड़े, चंद्रशेखर, बारा बारा राव, जैसे कई लोग है जिनको सालो से जेलो में बंद कर दिया गया है भारत मे यह हालत सायद अगोशित आपातकाल के समान लगते है सामान्य लोग भी अगर धरना प्रदर्सन करते है तो उनको भी पुलिश की दादागिरी से दबाया जाता है विपक्ष के लोग अब पुलिश को सरकारी गुंडा कहकर संबोधित कर रहे है
लश्कर भी तुम्हारा सरदार भी तुम्हारा
तुम जुठ को सच लिखो अखबार भी तुम्हारा
आज के हालात पर यह शेर बिल्कुल सही फिट बैठता है दादागिरी के इस युग मे सत्ताधीश यह भूल जाते है कि जो सूरज उगता है वह अस्त भी होता है जबकि विशेषग्यो की माने तो देश के गंभीर हालत से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे नए नए सगुफे छोड़े जाते है ताकि लोग नशे की गुट्टी पी कर सरकारों से सवाल न करे