हरभजन सिंह के बेहद कामयाब क्रिकेट करियर में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में साल 2007 में आईसीसी टी-20 विश्व कप और साल 2011 में आईसीसी एकदिवसीय विश्व कप चैंपियन टीम का सदस्य रहना भी है.
हरभजन सिंह का विवादों से भी ख़ूब नाता रहा.
इसमें आईपीएल के दौरान श्रीसंत को थप्पड़ मारने से लेकर, ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ एंड्रयू सायमंडस से भिड़ना भी है जो आज भी मंकी गेट के नाम से मशहूर है.
वह अनुशासनहीनता के आरोप में भी कई बार सुधार के लिए एनसीए यानी नेशनल क्रिकेट एकेडमी भेजे गए ताकि अपना आचरण सुधार सके.
श्रीसंत को मारा गया थप्पड़ तो उन्हें काफ़ी महँगा पड़ा जबकि ऑस्ट्रेलिया के एंड्रयू सायमंडस के साथ उनका विवाद सचिन तेंदुलकर के कारण सुलझा जब सचिन ने उनके पक्ष में गवाही दी.
हरभजन सिंह के दूसरे क़िस्से कहानी और कामयाबी को शब्दों में बाँधना बेहद मुश्किल है |
हरभजन सिंह ने टेस्ट क्रिकेट में 400 से अधिक विकेट लिए. इसके अलावा भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में हैट-ट्रिक लेने वाले वह पहले गेंदबाज़ भी बने.
इतना ही नहीं न्यूज़ीलैंड के ख़़िलाफ़ तो उन्होंने लगातार दो टेस्ट शतक भी जमाए वह भी तब जब भारत के सभी धुरंधर बल्लेबाज़ आउट होकर पवेलियन लौट चुके थे.
आईपीएल में भी वह लम्बे समय तक चेन्नई सुपर किंग्स के सदस्य रहे जिसने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में सबसे अधिक फ़ाइनल खेले है. वह भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की भी पहली पसंद रहे.
हरभजन सिंह और अनिल कुंबले की जुगलबंदी में भारत टेस्ट क्रिकेट में अपनी ज़मीन पर अजेय सा रहा.
हरभजन सिंह भारत के पूर्व ऑफ स्पिनर इरापल्ली प्रसन्ना और दूसरे स्पिनर से बिलकुल अलग थे. प्रसन्ना जहॉ हवा में फ़्लाइट और विकेट ख़रीदने के लिए मशहूर थे वहीं हरभजन सिंह का एक्शन बिलकुल अलग था.
वह गेंद को तेज़ी से स्पिन कराने में माहिर थे. शुरुआत में तो उन पर चकिंग का संदेह भी ज़ाहिर किया गया लेकिन वह बेफ़िक्री के साथ आगे बढ़ते रहे.
भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर होने के बाद वह एक एक्सपर्ट के तौर पर विभिन्न टीवी चैनल पर आते हैं और अपनी बेबाक़ टिप्पणी के लिए भी जाने जाते हैं.
हरभजन सिंह को भज्जी के अलावा टर्बनेटर के नाम से भी जाना जाता है.
उन्होंने सोशल मीडिया साइट ट्विटर के ज़रिये अपने क्रिकेट करियर को अलविदा कहा. 41 साल के हरभजन सिंह ने अपने करियर में साथ देने वालों का शुक्रिया अदा किया |
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