पुलिस की कार्यवाही की खाना पूर्ति से सारे देश में रोष उभरा ।पोक्सो कि कलमे होने के बाबजूद गिरफ्तारी
पूरे विश्व में कुश्ती में भारत का नाम रोशन करने वाले पहलवान अपने साथी पहलवानों को न्याय दिलाने के लिए जंतर मंतर पर कई दिनों से धरने पर बैठे हैं जबकि इन पहलवानों का काम अखाड़े में कुश्ती लड़ना है और देश के लिए मेडल लाने है लेकिन सरकार की बेरुखी के कारण आज इन पहलवानों को अपनी ही सरकारों से लड़ना पड़ रहा है कुश्ती संघ के बृजभूषण शरन सिंह पूर्व अध्यक्ष जोकि यौन शोषण के मामले में शंका के दायरे में हैं और उनके ऊपर अतीत में भी कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए हैं पर पिछले 5 माह से लिखित शिकायत होने के बावजूद भी कुश्ती के पहलवानों को न्याय नहीं मिल रहा मन. सुप्रीम कोर्ट ने केश जाने के बाद FIR दर्ज हुई है। ब्रिज भूषण शरण सिंह भाजपा के सांसद होने के कारण और उत्तर प्रदेश में अच्छी राजकीय पैठ रखने के कारण उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही जबकि शिकायतकर्ता महिलाओं में से एक नाबालिग है इसलिए पोस्को के कानून के तहेत मुकद्दमा पंजीकृत किया है अन्य महिलाओं ने भी लिखित शिकायत दी है और FIR भी दर्ज हो चुकी है लेकिन प्रश्न यह खड़ा होता है की बाहुबली और दंगाइयों के घर को बुलडोजर से कुचलने वाली सरकारी अपने देश को गौरव दिलाने वाले पहलवानों को न्याय नहीं दिला रही है पिछले कई दिनों से दिल्ली के जंतर मंतर पर गोल्ड मेडल लाने वाले पहलवान धरने पर बैठे हुए हैं पर सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी इन कुश्ती के पहलवानों के समर्थन में कई संस्थाएं कई किसान संघ खप पंचायतें कई पूर्व खिलाड़ी और कई महानुभाव भी आ चुके हैं बावजूद इसके ना तो सरकार और ना ही दिल्ली पुलिस टस से मस हो रही है उल्टा शिकायत कर्ता खिलाडियों को परेशान किया जा रहा है भारत में अपराधों के लिए दो अलग-अलग मापदंड देखे जा रहे हैं जिसमें सत्ता पक्ष के लिए एक मापदंड है और अन्य लोगों के लिए दूसरा मापदंड है अभी के हालात पर गौर करें तो इन कुश्ती के पहलवानों को न्याय न मिलने के कारण इनको दिन और रात जंतर मंतर पर धरना देने की नौबत आ चुकी है जिससे सोचा जा सकता है कि देश को गौरव दिलाने वाले पहलवानों की यह हालत है तो देश के सामान्य व्यक्ति को पुलिस की तरफ से और सरकारों की तरफ से कैसे न्याय मिलेगा यह सोचने वाली बात है हमने अतीत में भी देखा बिलकिस बानो के बलात्कारियों और उसके परिवार के हत्यारों को सरकारें कैसे रिहा कर देती हैं और सत्ता पक्ष के खिलाफ शिकायत दर्ज करने वाले राष्ट्र के गौरव पहलवानों की स्थिति क्या है यह भी हमारे सामने हैं क्या यह देश की तरक्की का संकेत है या फिर देश में कानून व्यवस्था की चरमराती स्थिति के ऊपर सवालिया निशान है आने वाला समय ही बताएगा कि देश को गोल्ड मेडल दिलाने वाले पहलवानों को न्याय मिल रहा है या फिर इनको दर-दर की ठोकरें खानी पड़ेगी क्या इस हालत में नए उभरते हुए खिलाड़ी देश के लिए गोल्ड मेडल लाने के लिए प्रयास करेंगे या फिर इन के हालात देखकर उनका उत्साह टुटेजा और वह देश के लिए मेडल लाने की दौड़ से बाहर हो जाएंगे