गुजरात के कारोबारी गौतम अडानी जोकि सत्ता पक्ष के खासम खास माने जाते हैं उनकी कंपनियों के शेर में हड़कंप मचा हुआ है हिडेनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अदानी समूह की सारी कंपनियों के शेरो में बिकवाली का माहौल देखा गया और शेयर बाजार में अदानी समूह की कंपनी को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है
हिडेनबर्ग की रिपोर्ट को माने तो अब तक के इतिहास का यह सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला है जिस के चलते सिर्फ अडानी ही नहीं परंतु देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है कई विदेशी बैंकों ने अदानी से अपना लोन रोलबैक किया है ऐसी भी खबरें आ रही है परंतु भारतीय बैंकों का अभी तक अडानी के ऊपर आशीर्वाद बना हुआ है वह आशीर्वाद उनकी सत्तापक्ष की नजदीकियों से जाहिर होता है हिडनबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि अदानी समूह में टैक्स हैवन देशों से काफी ज्यादा निवेश हुआ जोकि फर्जी कंपनियों के मार्फत होने का आरोप है और उस निवेश को दिखाकर कंपनी की ओवर वैल्यू करके बैंकों से लोन लिया गया ऐसे वित्तीय घोटाले की जांच के लिए सरकारी एजेंसियां है लेकिन सरकारी एजेंसी प्रधानमंत्री के खास खास गौतम अडानी के खिलाफ कार्यवाही करेंगे ऐसा दूर-दूर तक संभव नहीं दिख रहा
तो दूसरी तरफ इस रिपोर्ट के बाद अदानी समूह की कंपनी में भारतीय लोगों के पैसे सुरक्षित हैं या नहीं यह प्रश्न हर एक निवेशकों को सता रहा है इस मामले की गूंज संसद तक में गूंजी लेकिन संसद में वित्त मंत्री इसको कोई बड़ा संकट नहीं मानती और विपक्ष की जेपीसी की मांग को भी नहीं स्वीकार रही है गौतम अदानी के बारे में अतीत में भी कई घोटालों की खबरें आई हुई है उन खबरों के ऊपर भी आज तक कोई जांच हुई हो ऐसा संज्ञान में नहीं है मुंद्रा पोर्ट के विकास में अदानी समूह द्वारा हजारों में ग्रुप को नष्ट करने की शिकायत के बाद एनजीटी द्वारा सुनीता नारायण कमेटी गठित की गई थी और सुनीता नारायण कमेटी ने दोषी पाया था पर पर अदानी को लगाया गया दंड आज तक नरेंद्र मोदी की सरकार वसूल नहीं कर पाई यह सबसे बड़ी विडंबना है