मध्यप्रदेश (होशंगाबाद)। पिपरिया के नजदीक ग्राम बाचावानी में भगवान गणेश की 800 साल से विराजित प्रतिमा पर ग्रामीणों को गहरी आस्था है । तिल चौथ पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते है। आइये जानते इस छोटे से गांव के हर साल बढ़ते गणपति की महिमा के बारे में।
बाचावानी ग्राम में तिल चौथ पर यहां के 90% लोग उपवास रहते हैं और दिन भर श्री गणेश की भक्ति में डूबे रहते हैं
गांव का प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने घर के बाहर साफ सफाई के साथ रंग रोगन करते हैं सड़कों को लीपा जाता है पूरे ग्राम की सड़क की सफाई इस तरीके से की जाती है किस दिन आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को नंगे पैर भी एक कंकड़ तक नहीं गड़ सकता ।ग्रामीण बड़े उत्साह के साथ श्रद्धालुओं के लिए जगह जगह निशुल्क चाय एवं स्वल्पाहार की व्यवस्था करते हैं।
दिन भर करीब एक लाख से अधिक श्रद्धालु यहां तिल गणेश के दर्शन करने के लिए आते हैं गांव में विशाल राज्यस्तरीय भजन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है जिसमें प्रदेशभर से भजन मंडल अपनी प्रस्तुति देते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यहां स्थित प्रतिमा प्रतिवर्ष तिल तिल कर बढ़ती है यहां के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि 400 वर्ष पूर्व फतेहपुर के राजा भी यहां दर्शन करने के लिए बाचावानी आते थे उन्होंने इस प्रतिमा को फतेहपुर ले जाने का काफी प्रयास किया राजा के आदेश के बाद मूर्ति को हाथी पर रखा गया बार-बार अंकुश के प्रभाव से हाथी खूना खून तो हो गया लेकिन वह अपने स्थान से नहीं हिला अंत में राजा ने इसे विधि का विधान माना और भगवान श्री गणेश से क्षमा मांग मूर्ति को यथावत स्थान पर पुनः स्थापित करवाया।।।
मंदिर के पुजारी मोहन दास के अनुसार -“यहाँ स्थित भगवान गणेश की प्रतिमा के दर्शन मात्र से निसंतानों की गोद भर जाती है । ऐसे कई उदाहरण के तौर पर आस पास के ग्रामो और शहरों में मिल जायेंगे जिन्हें यहाँ दर्शन से संतान की प्राप्ति हुई।”